भारत सरकार ने गुलाबी शहर जयपुर को यूनेस्को की विश्व धरोहर घोषित करने के लिए अगस्त 2018 में एक प्रस्ताव भेजा था , राजस्थान में 37 विश्व धरोहर स्थल हैं, इनमें चित्तौड़गढ़ किला, कुंभलगढ़, जैसलमेर, रणथंभौर और गागरोन किला शामिल हैं
साल 1727 में जयपुर शहर की स्थापना राजा जयसिंह ने की थी
यूनेस्को ने 05 फरवरी 2020 को गुलाबी नगरी जयपुर को ‘विश्व धरोहर शहर’ (World Heritage City) का औपचारिक प्रमाण पत्र सौंप दिया है यूनेस्को की महानिदेशक आंद्रे अजोले ने अल्बर्ट हॉल में आयोजित एक समारोह में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल को जयपुर का यह प्रमाण पत्र सौंपा
यूनेस्को की टीम ने दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शीश महल, मानसिंह महल और आमेर किले का दौरा किया, यूनेस्को के महानिदेशक आंद्रे अजोले ने आमेर किले को अतीत की याद दिलाने वाला बताया
पढ़िए : विश्व धरोहर शहर (World Heritage City) के बारे में….
युनेस्को विश्व विरासत स्थल ऐसे खास स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन या शहर इत्यादि) को कहा जाता है, इनका चयन विश्व धरोहर समिति करती है, यह समिति यूनेस्को की सहायता से इन स्थलों की देखरेख भी करती है
प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह जगह स्थित हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हित इसी में होता है कि वे मानवता के हित हेतु इनका संरक्षण करें, यूनेस्को का मानना है कि संपूर्ण विश्व समुदाय इसके संरक्षण के लिए जिम्मेदार है, यूनेस्को की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, एक विश्व विरासत स्थल के चयन हेतु छह सांस्कृतिक और चार प्राकृतिक मानदंड हैं
इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता हेतु अहम हैं, कुछ खास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को यह समिति आर्थिक सहायता भी देती है
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